
चीन और फिलीपीन्स के बीच दक्षिणी चीन सागर में उनके क्षेत्रीय दावों को लेकर विवाद बढ़ गया है. हाल में हुई कुछ घटनाओं ने इस विवाद को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिलीपीन्स ने चीन सागर में अपनी समुद्री सीमा को परिभाषित किया है जिसपर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इसे क्षेत्रीय स्वायत्ता और चीन सागर में अधिकार को लेकर दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद के हिस्से के रूप में देखा रहा है.
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इस बार विवाद क्यों बढ़ा?
फिलीपीन्स के राष्ट्रपति फर्डीनाण्ड माकोस ने 8 नवम्बर 2024 को दो महत्वपूर्ण कानूनों पर अपने हस्ताक्षर किए. ये कानून चीन सागर में फिलीपीन्स की सीमा और दूसरे देशों के जहाजों के लिए रास्ते को निश्चित करते हैं. इस प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने तुरन्त फिलीपीन्स के राजदूत को बुलाकर असंतोष व्यक्त किया. चीन ने Huangyan Dao (Scarborough Shoal) पर अपने दावे एक बार फिर दोहराया जिससे ये विवाद और बढ़ गया है.
चीन की क्या अवस्थिति है?
चीन लगभग पूरे दक्षिणी चीन सागर पर दावा करता है. उसने अपने क्षेत्रीय दावे के खिलाफ एक अन्तर्राष्ट्रीय निर्णय को खारिज़ कर दिया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने देश के कार्यवाइयों को वैध और अन्तर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप माना है. उनका कहना है कि बेहतर प्रबंधन के लिए समुद्री सीमाए निर्धारित करना बेहद ज़रूरी है.
फिलीपीन्स ने क्या किया?
मैरिटाइम जोंस ऐक्ट समुद्र में फिलीपीन्स के हिस्से को अलग करके उसपर लॉ ऑफ द सी पर हुए यूनाइटेड नेशन्स के कंवेन्शन के अनुसार के अधिकार को स्थापित करता है. Archipelagic Sea Lanes Act स्थापित राष्ट्रपति को विदेशी हवाई और समुद्री जहाजों के लिए खास रास्ता निर्धारित करने की शक्ति देता है. इन कानूनों का लक्ष्य संबंधित क्षेत्र पर अपने दावे को मजबूत करते हुए देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है.
चीन ने क्या किया?
चीन ने फिलीपीन्स के नए कानूनों का मजबूती से विरोध किया है. चीन का दावा फिलीपीन्स के ये कानून उसकी क्षेत्रीय स्वायत्ता औऱ स्वतन्त्रता का उलंघन करते हैं. साथ ही चीन के उच्चाधिकारियों ने फिलीपीन्स पर विवादित क्षेत्र में हमला करने का आरोप लगाया है. फिलीपीन्स के कानूनों की प्रतिक्रिया में चीन ने विवादित क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति तेज कर दी है. उसने क्षेत्र में तटरक्षक बल और नौसेना की तैनाती कर दी है.
दक्षिणी चीन सागर में क्या हुआ?
दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ने दक्षिणी चीन सागर में भी एक-दूसरे को आमने-सामने कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के जहाजों ने फिलीपीन्स के जहाजों के रास्ते को ब्लॉक कर दिया. वॉटर कैनन्स और बोर्डिंग की कोशिशें क्षति और चोटों की वजह बनीं. इस तरह की आक्रामक रणनिति दोनों देशों के बीच बढ़ते हुए तनाव की गम्भीरता को दिखाती है.
क्या संभावनाएं हैं ?
क्षेत्रीय स्थिरता पर दो देशों के बीच चल इस तनाव का बहुत असर हो सकता है. इन दो देशों के अलावा, दक्षिणी चीन सागर पर दक्षिणी-पूर्वी एशिया के कई अन्य देशों का भी दावा है. वर्तमान स्थिति दक्षिणी चीन सागर में सैन्य टाकराव और समुद्री मार्ग उसके प्रभाव के बारे में चिंता बढ़ा रहा है. अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय सारी चीजों को बहुत सतर्क होकर देख रहा है.
मौजूदा समय में दोनों देशों में तनाव बढ़ता हुआ दिख रहा है. अपनी जगह से दोनों देशों के पीछे हटने की कम संभावना दिख रही है. विवाद को कम करने और दोनों देशों के बीच बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर कोशिशों की जरूरत हो सकती है.
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