गरूड़ शक्ति के 9वें संस्करण में हिस्सा लेने के लिए इंडियन आर्मी के 25 जवानों का एक समूह इण्डोनेशिया के लिए रवाना हो चुका है. गरूड़ शक्ति भारत और इण्डोनेशिया के बीच होने वाला एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है जिसे एक व्दिपक्षीय रक्षा सहयोग के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाता है. इस साल ये व्दिपक्षीय युध्दाभ्यास जकार्ता के सीजंतुंग क्षेत्र में 1 से 12 नवम्बर 2024 तक हो रहा है. ये युध्दाभ्यास भारत और इण्डोनेशिया के बीच मजबूत ऱक्षा सहयोग को दर्शाता है.
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गरूड़ शक्ति का उद्देश्य
गरूड़ शक्ति का प्राथमिक दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करना है. इसके ये दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबन्धों को बेहतर बनाना है. इस युध्दाभ्यास में चर्चाएं और सामरिक सैन्य अभ्यास शामिल हैं.
प्रतिभागी
इस व्दिपक्षीय युध्दाभ्यास में भारत की स्पेशल फोर्स द पैराशूट रेजीमेंट (The Parachute Regiment) और इण्डोनेशिया की स्पेशल फोर्स कोपासस (Kopassus) के 40 जवान हिस्सा ले रहे है. यह सहयोग रक्षा मामलों में एक साथ काम करने की दोनों देशों की प्रतिध्दता को दर्शाता है.
मुख्य लक्ष्य
- एक-दूसरे के काम करने के तरीके को जानना
- पारस्परिक समझ और सहयोग को बढ़ाना
- दोनों सेनाओं की स्पेशल फोर्सेज़ के बीच सूचना या अन्य उपयोगी चीजों को साझा करने की क्षमता को बेहतर बनाना.
शामिल गतिविधियां
- स्पेशल ऑपरेशन प्लान और एक्जीक्यूट करना
- एडवांस स्पेशल फोर्स स्किल्स को बढ़ावा देना
- हथियार, उपकरण और कार्यनिति के बारे में सूचनाएं साझा करना
जंगल के ऑपरेशन पर विशेष ध्यान
- जंगली क्षेत्रों में ऑपरेशन
- आतंकवादियों पर हमला
- बेसिक और एडवांस स्पेशल स्किल्स पर काम करना
कूटनीतिक सम्बन्ध
भारत के विदेश मंत्री एस जयशकर ने 24 अक्टूबर 2024 को इण्डोनेशिया के विदेश मंत्री सुजियोनो से मुलाकात की. भारत और इण्डोनेशिया के विदेश मंत्रियों के बीच ये मुलाकाम ब्रिक्स देशों के 16वें सम्मेलन के दौरान कज़ान, रूस में हुयी. मुलाकाम में दोनों विदेश मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच व्यापक सामरिक हिस्सेदारी मजबूत करने के बारे में बात की.
रक्षा सहयोग का महत्व
गरूड़ शक्ति भारत और इण्डोनेशिया के बीच विकसित हो रहे रक्षा संबन्धों का सबूत है. क्षेत्रिय सुरक्षा के लिए ये दोनों देशों की साझा प्रतिबध्दता को दर्शाता है. इस तरह का युध्दाभ्यास साझा संकट से निपटने के लिए जरूरी तैयारी को बेहतर करता है.
भविष्य की संभावनाएं
दोनों देशों ने इस युध्दाभ्यास को ज़ारी रखा है. इसलिए भविष्य दोनों देशों के बीच सहयोग और भी बढ़ा सकता है. भविष्य के युध्दाभ्यास और अधिक जटिल स्थितियों पर किए जा सकते हैं. दोनों देशों की ये हिस्सेदारी इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में संतुलन के लिए बहुत जरूरी है.
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