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दुर्गेश अरण्य जूलॉजिकल पार्क भारत में हुए एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में पहचान हासिल करने के लिए तैयार है. हिमांचल प्रदेश के कांगरा जिलें के बनखण्डी क्षेत्र में स्थित ये भारत का पहला ऐसा पार्क (ज़ू) है जिसको इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउन्सिल व्दारा सर्टीफिकेट दिया जाएगा. पर्यावरण के अनुकूल और टिकाउ प्रयासों के प्रति दुर्गेश अरण्य की प्रतिबध्दता को ये सर्टीफिकेट चिन्हित करता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने 2 नवम्बर 2024 को ये घोषणा की.
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इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउन्सिल का महत्व
आईजीबीसी सर्टीफिकेशन उच्च पर्यावरणीय मानकों को दर्शाता है. यह इमारतों और आसपास के क्षेत्र दोनों को केन्द्र में रखता है. इसका मतलब इस चिड़ीयाघर को बनाते समय न केवल टिकाउ इमारतों पर ध्यान देना है बल्कि उसके आसपास के क्षेत्र की पारिस्थितिकी को भी सुरक्षित रखना है. सर्टीफिकेशन ये प्रकिया दुर्गेश अरण्य की ऊर्जा दक्षता, जल-संरक्षण, और अपशिष्ट प्रबंधन की क्षमता को सुनिश्चित करती है.
टिकाउ विकास (सस्टेनेबिलिटी)
टिकाउ-विकास (सस्टेनेबिलिटी) दुर्गेश अरण्य परियोजना का प्रमुख विषय है. मुंख्यमंत्री ने पर्यटन और संरचनात्मक विकास को सस्टेनेबिलिटी के साथ एकीकृत करने पर जोर दिया है. इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी को प्रोत्साहन देते हुए पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है. दुर्गेश अरण्य एक वन्यजीव संरक्षण और उसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा के एक मंच के रूप में काम करेगा.
दुर्गेश अरण्य परियोजना
पहले फेज़ में ये जूलॉजिकल पार्क लगभग 25 हेक्टेयर के विस्तार में स्थापित किया जाएगा. पार्क के पहले फेज़ के काम को पूरा करने में 230 करोड़ का अनुमानित खर्च आएगा. दुर्गेश अरण्य परियोजना के 2025 के तीसरे क्वार्टर में पूरा होने की उम्मीद है. इस परियोजना का कुल बजट 619 करोड़ रूपए है. पार्क में किए जा रहे निवेश का लक्ष्य इसे कांगरा और आसपास जिलों के एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है.
पर्यटन और आर्थिक प्रभाव
दुर्गेश अरण्य को क्षेत्र में पर्यटन को बेहतर बनाने के लिए तैयार किया गया है. ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करके दुर्गेश अरण्य राजस्व और नौकरियां दोनों पैदा करेगा. इसके अलावा, ये क्षेत्र की सभ्यता और विरासत का भी प्रचार करेगा.
नए तरीको से संरक्षण
दर्गेश अरण्य संरक्षण के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल करेगा. सुरक्षित पर्यावरणीय स्थितियां विकसित करके ये कई तरह की प्रजातियों को शरण देगा. एक तरह की स्थितियों में रहने वाले अलग अलग जानवरों के लिए दुर्गेश अरण्य प्राक़तिक आवास का विकास करेगा. इस तरह ये जानवरों को सुरक्षित रखते हुए पर्यटकों के अनुभव को और भी अधिक बेहतर करेगा.
भविष्य की संभावनाएं
दुर्गेश अरण्य बन जाने के बाद भविष्य में होने वाले इस तरह के किसी भी निर्माण या विकास के लिए एक बेंचमार्क के रूप में काम करेगा. पर्यावरण को नुकसान पहुचाए बिना कैसे इंफ्रास्ट्रचर को विकसित किया जा सकता है, दुर्गेश अरण्य इस को प्रदर्शित करेगा. इसकी सफलता सस्टेनेबिलिटी के कल्चर का प्रचार करके देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह की पहल को प्रेरित कर सकता है. दुर्गेश अरण्य की सफलता के लिए समुदाय का अलग अलग गतिविधियों जैसे कि शैक्षिक कार्यक्रम और संरक्षण गतिविधियों में हिस्सा लेना बेहद जरूरी है. इस तरह गतिविधियों में हिस्सा लेने से समुदायों में पर्यावरण के लिए उनकी जिम्मेदारी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी.
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