Digital Marketing: हम एक डिजिटल युग में रह रहे हैं. पैसा कमाने से लेकर दैनिक उपयोग की चीजें खरीदने तक, दैनिक जीवन से जुड़े लगभग सारे काम में डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. डिजिटल माध्यम से पैसा कमाने के ढ़ेरों तरीके हैं. इन तरीकों में डिजिटल मार्केटिंग एक बहु प्रचलित तरीका है. डिजिटल मार्केटिंग की मदद से आप घर बैठ कर पैसा कमा सकते हैं. प्रोडक्ट प्रमोट करने के लिए डिजिटल मार्केटिंग बहुत उपयोगी है. इसमें डिजिटल माध्यमों की मदद से विक्रेता अपने प्रोडक्ट को टारगेटेड कस्टमर्स में प्रमोट करते हैं. इस प्रमोशन से प्रमोट किए गए प्रोडक्ट की सेल बढ़ती है. प्रोडक्ट की सेल को इनक्रीज़ करना ही डिजिटल मार्केटिंग का उद्देश्य होता है. डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) की मदद से आप घर बैठ कर पैसे कमा सकते हैं. इस आर्टिकल में डिजिटल मार्केटिंग से जुड़ी वो सारी जानकारी दी गयी है जो घर बैठ कर पैसा कमाने में आपकी मदद कर सकती है.
डिजिटल मार्केटिंग क्या है?
डिजिटल प्लेटफार्म्स पर प्रोडक्ट्स या ब्रॉन्ड्स के प्रमोशन करने को डिजिटल मार्केटिंग कहते हैं. कई चैनल्स जैसे सर्च इंजन, वेबसाइट्स, सोशल मीडिया, ईमेल और मोबाइस ऐप्स के माध्यम से कस्टमर प्रोडक्ट्स या ब्रॉन्ड के बारे में सारी जानकारी दी जाती है. जानकारी देते समय प्रोडक्टस की यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्वाइंट) को खासकर हाईलाइट करना होता है. इससे टॉरगेटेड कस्टमर्स को प्रमोटेड प्रोडक्ट्स को खरीदने की वजह समझने में आसानी होती है.
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) की मदद से प्रोडक्ट प्रमोशन करने के लिए लैपटॉप, कंप्यूटर या स्मार्टफोन होना अनिवार्य है. इन इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस से ही इंटरनेट पर किसी प्रोडक्ट को प्रमोट किया जा सकता है. बड़ी बड़ी कम्पनियां अपने ब्रॉन्ड य़ा प्रोडक्ट प्रमोशन के लिए अच्छा पैसा खर्च करती हैं. अगर आपके पास लैपटॉप, कंप्यूटर, या स्मार्टफोन है और आप घर बैठ कर पैसे कमाना चाहते हो तो डिजिटल मार्केटिंग आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
डिजिटल मार्केटिंग ही क्यों?
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) तेजी से ग्रो कर रहा है. साथ ही एक बेहतर करियर विकल्प के रूप में भी तेजी से उभर रहा है. इसके तेजी से विकसित होने और आकर्षक करियर विकल्प के रूप में उभरने के पीछे छुपे कारणों को समझना बेहद ही आसान है. महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम करने, सम्भावित बिजनेस के अवसरों को तलाशने, उनसे डील करने, ग्राहको के साथ नेटवर्किंग करके नए अवसरों की तलाश करने, दुनिया में कहीं से भी बैठ कर काम करने और अपनी तरह के लोगों के साथ कोऑपरेट करने के अलावा भी कई ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से डिजिटल मार्केटिंग काम करने के लिए बेहतर फील्ड है.
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के फायदे
चुनने के लिए कई विकल्प
डिजिटल मार्केटिंग में करियर बनाने के लिए ढ़ेरों विकल्प मौजूद हैं. जो भी रोल सबसे ज्यादा सुटेबल हो आप उसे चुन सकते हैं. लेकिन किसी भी रोल को अपने लिए चुनने से पहले ये सुनिश्चित कर लें कि आपकी स्किल सेट उस रोल के लिए पर्याप्त है. स्किल सेट को ध्यान रखे बिना रोल चुनकर सफलता हासिल करने में ढ़ेरों समस्याएं आ सकती हैं. डिजिटल मार्केटिंग में अपनी योग्यता के अनुसार आप कोई भी रोल चुन सकते हैं.
इन उपलब्ध रोल्स में पीपीसी (पे पर क्लिक) स्पेशलिस्ट, एसईओ (सर्च इंजन ऑप्टमाइजेसन) स्पेशलिस्ट, डिजिटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट और सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट मुख्य हैं. पीपीसी स्पेशलिस्ट एक इंट्री लेवल रोल है जिसमें डिजिटल एडवर्टिजिंग कैम्पेन को तैयार करके, उसे अप्टमाइज करते हुए प्रमोट किया जाता है. एसईओ स्पेशलिस्ट भी एक इंट्री लेवल रोल है जिसमें ऑरगेनिक सर्च कैम्पेन तैयार करके उसे सफलतापूर्वक चलाया जाता है. इसी क्रम में आगे, डिजीटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट एक जनरलिस्ट रोल है जिसमें डिजिटल मार्केटिंग कैम्पेन को तैयार करके उसे कई मार्केटिंग चैनल पर चलाना होता है. अन्त में, सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट भी एक इंट्री लेवल रोल है जिसमें ब्रान्ड अवेयरनेस क्रिएट करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर प्रोड्क्ट प्रमोसन करना होता है.
आर्कषक सैलरी
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) काम के लिए बढ़िया पैसा कमाने के लिए ढ़ेरों अवसर देता है. भारत में डिजिटल मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स की सैलरी लगभग 50,000 रूपए से शुरु होकर 85,000 रूपए तक जाती है. नीचे हमने विभिन्न तरह के रोल की अनुमानित सैलरी का डीटेल दिया है जो डिजिटल मार्केटिंग के सैलरी स्ट्रचर को समझने में आपकी मदद करेगा.
डिजिटल मार्केटिंग मैनेज़र | 50,000- 67,000 रूपए प्रतिमाह |
डिजिटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट | 20,000- 25,000 रूपए प्रति माह |
पे पर क्लिक एनालिस्ट | 25,000-45,000 रूपए प्रतिमाह |
एसईओ स्पेसलिस्ट | 16,000-50,000 रूपए प्रतिमाह |
सोशल मीडिया मार्केटिंग | 20,000- 40,000 रूपए प्रतिमाह |
कंटेंट मार्केटिंग | 16,000- 85,000 रूपए प्रतिमाह |
अपवर्ड मोबिलिटी के पर्याप्त अवसर
कन्वेन्सनल इंड्रस्ट्रीज़ में अपवर्ड मोबिलिटी की सम्भावना तलाशना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. कम्पनियां ने अपने बिजनेस मॉडल और उससे जुड़े प्रोसेस को सोलिडिफाई कर लिया है. जिसके कारण इन कम्पनियों में इंटरनल प्रमोशन की सम्भावनाएं भी कम हो गयी हैं. लेकिन डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के साथ ऐसा नहीं है. ये तेजी से ग्रो करने वाली एक नयी इंडस्ट्री है जिसमें जॉब अपाच्यूनिटी और प्रमोशन की सम्भावनाएं भी बढ़ने के क्रम हैं. इसके अलावा, डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट्स के लिए इस इंडस्ट्री में लीडर के रोल भी बढ़ रहे हैं.
स्वरोजगार का अवसर
ज़रूरी स्किल सेट और इंटरप्रिन्यूरियल समझ की मदद से आप नौकरी पूरी तरह छोड़कर अपने अनुसार अपना काम शुरू कर सकते हैं. आप खुद का अपना डिजिटल ब्रान्ड, प्रोडक्ट, और सर्विसेज़ लान्च कर सकते हैं. अपने ब्रान्ड, प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ को प्रोमोट करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं. शुरूआत में अपने काम को स्टेब्लिश करने के लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है. एक बार काम स्टेब्लिश होने के बाद काम अपेक्षा मे कम हो जाता है.
एफिलिएट मार्केटिंग
एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) जिसे हम इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग के नाम से भी जानते हैं बिज़नेस आर्ग्नाइजेशन और कस्टमर्स के बीच तेज़ी से पापुलर हुआ है. इससे कम्पनी, उनके प्रोडक्ट और कस्टमर्स के बीच दूरी कम करने में भी काफी मदद मिली है. एफिलिएट मार्केटिंग में इंडस्ट्री एक्सपर्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स की मदद से कम्पनियां अपने प्रोडक्ट्स को कस्टमर्स के बीच प्रमोट करती हैं. प्रोडक्ट प्रमोट करने के लिए इंडस्ट्री एक्सपर्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स पोस्ट्स, ब्लॉग्स और वीडियो कंटेंट का सहारा लेते हैं. प्रोडक्ट्स को टारगेटेड कस्टमर के बीच प्रमोट करने के लिए कम्पनियां इंडस्ट्री एक्सपर्ट और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स को अच्छे पैसे देती हैं.
बीते कुछ ही समय में नए सोसल मीडिया प्लेटफार्म टिकटॉक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ब्लाग की मदद से एफिलिएट मार्केटिंग ने मार्केट को ग्रो किया है. एफिलिएट मार्केटिंग डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के बहुत ही पॉपुलर रूप में उभर कर सामने आया है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के लिए डिजिटल मार्केटिंग पैसा कमाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प है. अगर आप भी डिजिटल मार्केटिंग से पैसा कमाना चाहते हैं तो एफिलिएट मार्केटिंग पैसा कमाने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
कंटेंट मार्केटिंग
कंटेंट मार्केटिंग, डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के लिए इस्तेमाल होने वाला सबसे पावरफुल तरीका है. लान्ग कन्टेंट की मदद से ब्रान्ड के बारे में यूज़र को बताया जाता है. इस कंटेंट का उद्देश्य रीडर को निश्चित प्रतिक्रिया जैसे कि ज्यादा सूचना के लिए आवेदन करना, ईमेल लिस्ट के साइन अप करना या प्रमोटेड प्रोडक्ट की खरीदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना होता है. ब्लॉग पोस्ट, व्हाइट पेपर, ईबुक, डिजिटल वीडियोज़ और पोडकास्ट कंटेंट मार्केटिंग की श्रेणी में आते हैं. कंटेट मार्केटिंग का उद्देश्य प्रोडक्ट्स को न केवल एडवर्टाइज़ करना बल्कि टारगेटेड कस्टमर्स को वैल्यू प्रोवाइड करना होता है. इस तरह कंटेंट मार्केटिंग कस्टमर और ब्रान्ड के बीच एक तरह का रिलेशनशिप इस्टैबलिश करता है जिससे ब्रान्ड की सेल केवल एक ट्रांन्जेक्शन तक सीमित न रहकर लान्ग टर्म सेल्स ग्रोथ तक जाती है. कंटेंट मार्केटिंग से डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के अन्य तरीकों को भी काफी फायदा होता है.
इससे वेबसाइट कंटेंट में सर्च इंजन आप्ट्माइजेशन का इस्तेमाल करने में मदद मिलती है. ये कंटेंट सोशल मीडिया पोस्ट और ईमेल मार्केटिंग में इस्तेमाल की जा सकती है. एनालिटिक्स कस्टमर, उनके बिहैवियर के बारे में और गहराई से जानने मे मदद कर सकता है. वेबसाइट पर वो क्या खोजते हैं, वो किस तरह के कंटेंट में दिलचस्पी लेते हैं, और क्यों वेबसाइट छोड़कर चले जाते हैं, एनालिटिक्स की मदद से ये सब जानने में मदद मिलती है. कंटेंट मार्केटिंग एक लांग टर्म मार्केटिंग स्ट्रेटजी है जिसमें एक निश्चित समय के बाद कंटेंट की एक लाइब्रेरी बन जाती है. सर्च इंजन की मदद से यूजर वेबसाइट पर आना ज़ारी ऱखते हैं. उन्हें वेबसाइट पर मौजूद कंटेंट लाइब्रेरी की मदद से ब्रॉन्ड के बारे में जानकारी मिलती रहती है जो कंटेंट क्रिआएटर को एक इनफार्मेसन रिसोर्स के रूप स्थापित करती है. अगर आप टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो कंटेंट क्रिएटर हैं तो कंटेंट मार्केटिंग पैसा कमाने के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
ईमेल मार्केटिंग
सोशल मीडिया, मोबाइल एप्लीकेशन, और अन्य माध्यमों के आने के बाद आज भी ईमेल एक इफेक्टिव मार्केटिंग टेक्नीक्स में से एक है. ये कंटेंट मार्केटिंग स्ट्रेटजी का एक हिस्सा बन सकता है जिसमें वैल्यू ऑफर करके ऑडियन्स को कस्टमर में बदला जा सकता है. ईमेल मार्केटिंग के लिए न केवल कम्पेलिंग प्रोमोशन कैम्पेन तैयार करना आना चाहिए बल्कि इस कैम्पेन को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का तरीका भी पता होना चाहिए. ईमेल मार्केटिंग में कस्टमर इंटरैक्शन, डेटा के आधार पर स्ट्रेटजिक मार्केटिंग डिसिज़न लिए जाते हैं.
ईमेल मार्केटिंग साफ्टवेयर कई तरह के डेटा प्रोवाइड करता है. इस डेटा में ओपेन रेट और क्लिक थ्रो रेट ज्यादा महत्वपूर्ण हैं जिनके लिए मार्केटर सबसे ज्यादा मेहनत करते हैं. ईमेल खोलने वाले लोगों की संख्या को ओपेन रेट कैलकुलेट किया जाता है जबकि ईमेल खोलकर दिए गए लिंक पर क्लिक करने वालों की संख्या को क्लिक-थ्रो-रेट में रखते हैं. अर्जेन्ट, पर्सनलाइज़, और प्रीफरेन्स सेट करने की इजाज़त देने वाला टेक्स्ट ईमेल को और भी ज्यादा अपीलिंग बनाता है जिससे इसके पढ़े जाने की सम्भावना भी बढ़ जाती है.
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) का सबसे बड़ा एडवांटेज़ ये है कि इस ट्रैक और मेज़र किया जा सकता है. दिए गए लिंक पर कितनी बार क्लिक किया गया, वेब पेज़ पर कितना समय बिताया गय़ा, और ईमेल को कितनी बार खोला गया, ये सारी जानकारी आसानी से मिल जाती हैं जो अन्तत ईमेल मार्केटिंग के उद्देश्यों को हासिल करने में सहायक होती हैं.
एक ईमेल मार्केटर को उपलब्ध डेटा को समझना आना चाहिए. उन्हें डेटा के आधार पर बिजनेस स्ट्रेटजी तैयार करना और उसे लागू करना भी आना चाहिए. तभी ईमेल मार्केटर के रूप में सफलता हासिल की जा सकती है.
मोबाइल मार्केटिंग
Digital Marketing: मोबाइल मार्केटिंग में टेक्स्ट मैसेज, सोशल मीडिया, वेबसाइट, और मोबाइल एप्लीकेशन की मदद टॉरगेट ऑडियंस तक पहुंचा जाता है. इसमें मार्केटर को ऑफर और स्पेशल कंटेंट भी जोड़ने की सुविधा रहती है. किसी जियोग्राफिकल लोकेशन या किसी निश्चित समय ये मैसेज टॉरगेट रीडर को खुद ही डिलीवर हो जाता है. हाल ही के कुछ वर्षों में ई कॉमर्स ने पूरी दुनिया में बहुत तेजी से ग्रोथ किया है. मार्केटर्स को ये पता होता है उन्हें अपने पोटेंशियल कस्टमर्स कहां मिलेंगे. इसीलिए वे कस्टमर्स को सीधे उनके मोबाइल पर अपडेट देते रहते हैं. कस्टमर्स इन अपडेट्स की मदद से जब उन्हें जरुरत होती है शॉपिंग कर लेते हैं. बहुत से लोग मोबाइल मार्केटिंग से भी अच्छे पैसे कमा रहें है. आप भी घर बैठे मोबाइल मार्केटिंग से पैसे कमा सकते हैं.
पे पर क्लिक
पे पर क्लिक पेड एडवर्टीज़मेंट होता है जिसे सर्च इंजन रिजल्ट में प्रमोट किया जाता है. ये डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) का एक तरह का शार्ट टर्म रूप है. मतलब एक बार आपने पेमेन्ट करना बन्द कर दिया, एडवर्टीज़मेन्ट दिखना बन्द हो जाएगा. पे पर क्लिक एडवर्टीज़मेन्ट सर्च इंजन रिजल्ट, वेब ब्राउज़र, यूट्यूब वीडियोज़ और मोबाइल एप्स का इस्तेमाल करते समय टॉप या साइड पर दिखता है.
पे पर क्लिक एडवर्टींज़मेंट में केवल सर्च रिजल्ट के लिए पे किया जाता है. ये पे पर क्लिक को एसईओ से अलग करने वाली अन्य विषेशताओं में से एक है. गूगल एडवर्ड जैसे एडवर्टीज़मेंट पीपीसी मॉडल में ऐड पर क्लिक या वेबसाइट पर व्यू मिलने पर ही पेमेन्ट करना होता है. पे पर क्लिक के माध्यम से प्रोडक्ट प्रमोट करने के लिए आप किसी भी अमाउंट का चयन कर सकते हैं. कम पैसे खर्च करके भी कम्पनियां अपने प्रोडक्ट का प्रमोंशन सर्च रिजल्ट करवा सकती हैं.
सर्च रिजल्ट के प्रमोशन या ऐड चलाने की कीमत आपके कीवर्ड कम्पटीसन पर निर्भर करेगा. हाई कम्पटीसन कीवर्ड के लिए कम और लो कम्पटीसन कीवर्ड के लिए ज्यादा पैसों का भुगतान करना होगा. ऐड कैम्पेन सेट अप करते समय, यूज़र्स को उन स्थानों को भी चुनने की आजादी होती है जहां जहां वो अपना ये ऐड दिखाना चाहते हैं. इस तरह यूज़र को अपने ऐड को उन स्थानों में सीमित करने की आज़ादी मिलती है जहां उसके सम्भावित कस्टमर रहते या मौज़ूद होते हैं.
सर्च इंजन ऑप्टमाइजेशन (एसईओ)
एसईओ का लक्ष्य गूगल सर्च रिजल्ट में रैंक करके वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाना है. वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ने से बिजनेल भी बढ़ता है. इसे सफलता पूर्वक पूरा करने के लिए, एसईओ मार्केटर्स उन शब्दों और शब्द समूहों के बारे मे पता लगाते हैं जिनकी मदद से वेबसाइट या मार्केटिंग कंटेंट को गूगल सर्च रिजल्ट में रैंक करवाना है. किसी भी वेबसाइट का एसईओ का इम्प्रूव करने के लिए सर्च इंजन और एल्गोरिदम को समझना सबसे पहले जरूरी है. बिना सर्च इंजन और एल्गोरिदम समझे किसी भी वेबसाइट के एसईओ को इम्प्रूव करना लगभग असम्भव है. एसईओ और वेबसाइट की परफार्मेन्स इम्प्रूव करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
कंटेंट इंडेक्सिंग- सर्च इंजन को अपनी वेबसाइट पर कंटेंट समझने के लिए इमेज़ेस के साथ अल्ट टेक्स्ट, और ऑडियो एवं वीडियो कंटेंट के साथ ट्रॉंसस्क्रिप्ट का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है. लिंक स्ट्रक्चर- वेबसाइट पर सर्च इंजन क्रॉल को आसान बनाने के लिए लिंक, यूआरएल, और साइटमैप को प्रॉपरली फॉर्मेट करना बेहद जरूरी है. इस तरह वेबसाइट और उस पर मौजूद कंटेंट को सर्च इंजन के लिए ज्यादा एक्सेसिबल बनाया जा सकता है.
कीवर्ड्स और कीवर्ड्स टॉरगेटिंग- कीवर्ड्स का सही तरह से कंटेंट में इस्तेमाल करना स्ट्रॉंग एसईओ करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. जरूरत से ज्यादा कंटेंट में कीवर्ड इस्तेमाल करना अब एक गलत एसईओ प्रैक्टिस है. हेडर और कंटेंट में हाई क्वालिटी कीवर्ड का इस्तेमाल करने से वेब पेज को रैंक करवाने में बहुत उपयोगी सिध्द हो सकता है.
सोशल मीडिया मार्केटिंग
Digital Marketing: सोशल मीडिया मार्केटिंग में वो हर तरह की प्रमोसन एक्टिविटी आती है जो सोशल मीडिया चैनल की मदद से की जाती है. लेकिन मार्केटर को सोशल मीडिया प्रमोसन के लिए इन्टीग्रेटेड और स्ट्रेटजिक अप्रोच लेना चाहिए. सोशल मीडिया मार्केटिंग पोस्ट क्रिएट करने और कमेन्ट का जवाब देने से बहुत ऊपर तक जाता है. इफेक्टिव सोशल मीडिया मार्केटिंग के लिए, कस्सिटेंसी और कोआर्डीनेसन बहुत जरूरी है. सोशल मीडिया प्रमोशन को कस्सिटेंट ऱखने के लिए कई ऑनलाइन टूल्स मौजूद हैं जिनकी मदद से सोशल मीडिया पोस्ट को सेड्यूल किया जा सकता है. सोशल मीडिया मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव्स को ऑटोमेसन केवल एक टूल के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए. सोशल मीडिया मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स को खुद को मार्केटिंग अन्य दूसरे कामों से अलग नहीं ऱखना चाहिए. उन्हें कम्पनी की बड़ी मार्केटिंग टीम के साथ कोआर्डीनेट करते हुए काम करना चाहिए ताकि ब्रॉन्ड के बारे में एक ही तरह की जानकारी टारगेट ऑडियन्स तक पहुंचे.
एनालिटिक्स सोशल मीडिया मार्केटिंग में निर्णायक भूमिका अदा करता है. सोशल मीडिया मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स को अपने पोस्ट को एनालाइज़ करने का तरीका मालूम होना चाहिए. पोस्ट से जुड़ा डेटा मार्केटिंग स्ट्रेटजी तैयार करने में काफी मददगार होता है. इसलिए सोशल मीडिया मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स को ये पता होना चाहिए कि इस डेटा को कैसे समझना है. किसी भी नयी मार्केटिंग स्ट्रेटजी को लागू करने से पहले मौजूदा सोशल मीडिया कैम्पेन की परफार्मेंस के बारे में पता होना चाहिए.
इनबॉउन्ड मार्केटिंग
अनुभव के आधार पर ऑडियंस के लिए उपयोगी कंटेंट बनाकर प्रोडक्ट का प्रमोसन करने को इनबॉउण्ड मार्केटिंग कहते हैं. ये डिजिटल मीडिया का ही मेथड है. इससे कंटेंट क्रिएशन और इनफार्मेसन शेयरिंग को प्रीआरटाइज़ करने में मदद मिलती है जो कस्टमर तक सीधे पहुंचने में मदद मिलती है. इसके अलावा, इनबॉउण्ड मार्केटिंग एजूकेशनल टूल, इंटरऐक्टिव मीडिया या कम्युनिकेशन अपाच्यूनिटी देकर कस्टमर्स के लिए एक इंगेजिंग एनवायर्नमेंन्ट तैयार करने में मदद करता है. इससे अन्तत कस्टमर के बीच ब्रॉन्ड एवेयरनेस भी बढ़ती है.
नेटिव एडवर्टाइजिंग
नेटिव एडवर्टाइजिंग पेड मीडिया कंटेंट है जो मीडिया सोर्स की तरह ही होता है. यूट्यूब पर पेड वीडियो कंटेंट नेटिव एडवर्टाइजिंग का एक उदाहरण है. इस तरह कंटेंट दिखने और काम करने में एकदम नेचुरल कंटेंट की तरह होता है जो यूज़र के वीडियो रिकमेन्डेसन में आता है.
मार्केटिंग ऑटोमेसन
Digital Marketing: मार्केटिंग ऑटोमेसन एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है जो मार्केटिंग के रोज के काम को बिना किसी मानवीय मदद के पूरा कर देता है. इसमें सॉफ्टवेयर की मदद से ईमेल मार्केटिंग, सोशल मीडिया पोस्ट, और ऐड कैम्पेन को ऑटोमेट किया जाता है ताकि तय समय पर मार्केटिंग कंटेंट टारगेट ऑडियंस तक जाता रहे. साथ ही साथ, यूजर्स को और अधिक पर्सनाईज़ फीड मिलते रहें. मार्केटिंग ऑटोमेसन के पीछे काम करने वाली तकनीक का मुख्य काम मार्केटिंग से जुड़े सारे कामों को तेजी और आसानी से पूरा करना है.
ऑनलाइन पीआर
ऑनलाइन पीआर में डिजिटल चैनल्स के माध्यम से ब्रॉण्ड या प्रोडक्ट की विजिबिलिटी को बढ़ाने का काम किया जाता है. डिजिटल पीआर, ट्रैडिसनल पार की तरह ही होता है. बस इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने प्रमोसन मैटेरियल को पहुंचाने की सुविधा होती है. साथ ही साथ, ऑनलाइन पीआर में टारगेट ऑडियंस की संख्या को ठीक तरह से जानने की सुविधा भी होती है. ऑनलाइन पीआर को प्रभावशाली बनाने के लिए सर्च इंजन ऑप्टमाईजेसन एसईओ, कंटेंट मार्केटिंग, इंफ्लूएंसर मार्केटिंग और सोशल मीडिया पर ध्यान देना होता है.
एसेट और टेक्टिस
Digital Marketing: डिजिटल मार्केटिंग के लिए कई तरह के एसेट इस्तेमाल किए जाते हैं. इसके साथ ही, डिजिटल मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स कई तरह की टैक्टस का भी इस्तेमाल करते हैं. इस तरह एसेट्स और टैक्टस का इस्तेमाल करके डिजिटल मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स अपने ब्रॉन्ड, प्रोडक्ट और सर्विस को प्रमोट करते हैं. इस तरह अपने ब्रॉन्ड, प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ को प्रमोट करके डिजिटल मार्केटर अच्छा पैसा कमाते है.
- वेबसाइट
- ब्लॉग पोस्ट
- ई-बुक और व्हाइटपेपर्स
- इन्फोग्रॉफिक्स
- इन्टरऐक्टिव टूल्स
- सोशल मीडिया चैनल (फेसबुक, लिंक्डइन, ट्विटर, और इंस्टाग्राम)
- अर्न्ड ऑनलाइन कवरेज (पीआर, सोशल मीडिया, और इंस्टाग्राम)
- ऑनलाइन ब्रोसर और लुकबुक्स
- ब्रॉन्डिंग एसेट (लोगोज़, फॉण्ट)
डिजिटल मार्केटिंग में करियर
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) का इस्तेमाल लगभग हर तरह के बिजनेस मे होता है. चाहे आपकी कम्पनी किसी प्रोडक्ट को मैनूफैक्चर कर रही हो, चाहे किसी खास तरह की सेवा दे रही हो. डिजिटल मार्केटिंग का उद्देश्य प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को टॉरगेट कस्टमर्स के बीच प्रमोट करना है. डिजिटल मार्केटिंग टॉरगेट कस्टमर्स की जरूरतों और आकांक्षाओं को समझने में कम्पनी की प्रभावशाली तरीके से मदद करते हैं. इससे कम्पनियों को अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ को टॉरगेट कस्टमर्स के अनुरूप बनाने में मदद मिलती है.
बी2बी
एक कम्पनी से दूसरी कम्पनी के बीच होने वाले व्यापार या कामर्सियल एक्टिविटी को बी2बी बिज़नेस कहते हैं. अगर आपकी कम्पनी बी2बी है तो डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) में ऑनलाइन लीड जनरेशन ही आपका मुख्य काम होगा. काम के इस तरीके से पैसा कमाने के लिए आपको किसी सेल्समैन की जरूरत पड़ेगी.
बी2सी
बी2सी डिजिटल सेल्स का वह मॉडल है जिसमें कम्पनी प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ को सीधे बेचती हैं. बी2सी सेल्स मॉडल में डिजिटल मार्केटिंग का मुख्य काम कम्पनी की वेबसाइट पर ज्यादा से ज्यादा व्यूअर्स को लाकर उन्हें कस्टमर बनाना होता है. इस सेल्स मॉडल के तहत काम करने के लिए किसी सेल्समैन की जरूरत नहीं होती है.
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के फायदे
डिजिटल मार्केटिंग में मार्केटर्स रियल टाइम में रिजल्ट देख सकते हैं. मार्केटिंग के इस तरीके से एकुरेट रिजल्ट का पता चल जाता है जो पैसे कमाने में मार्केटर्स की बहुत मदद करता है. न्यूज़ पेपर के मामले में दावे से यह नहीं कहा जा सकता कि उसमें दिए गए एडवर्टीज़मेंट को वास्तव में कितने लोगों ने देखा है. जबकि डिजिटल मार्केटिंग में किसी एडवर्टीज़मेंट को मिले कुल व्यूज़ के बारे में बड़ी आसानी से पता लगाया जा सकता है.
वेबसाइट ट्रैफिक
एडवर्टीज़मेंट के अन्य माध्यमों से अलग, डिजिटल मार्केटिंग में किसी ऐड को मिले कुल व्यूज़ के बारे में जानने की सुविधा होती है. इसके लिए डिजिटल मार्कटिंग में कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी किया जाता है. इस तरह के सॉफ्टवेयर्स को डिजिटल एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर कहते हैं. इन सॉफ्टवेयर की मदद से उस सोर्स के बारे में भी पता लगाया जा सकता है जिससे किसा वेबसाइट पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक आ रहा है. कुल मिलाकर, डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) पैसा कमाने के लिए मार्केटिंग के उपलब्ध दूसरे तरीकों से कई गुना बेहतर तरीका है.
कन्टेन्ट परफॉरमेन्स एंड लीड जनरेशन
प्रोडक्ट ब्रॉचर (Product Brochure) बनाने से लेकर उसे टॉर्गेटेड रीडर तक पहुंचाने तक, ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जिसकी मदद से प्रोडक्ट के विवरण के बारे में पढने वालों की संख्या की पुष्टि की जा सके. वहीं दूसरी तरफ, अगर प्रोडक्ट के बारे में यही डिटेल किसी वेबसाइट पर डाली गयी है तो उसे पढनें वालों की कुल संख्या के बारे में बिल्कुल जाना जा सकता है.
एट्रीब्यूशन मॉडलिंग
एट्रीब्यूशन मॉडलिंग की मदद से ये हमें चल रहे ट्रेंड और प्रोडक्ट के बारे में कस्टमर्स के रिसर्च करने के तरीके के बारे में जानने में मदद मिलती है. साथ ही साथ, कौन से क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है, इसकी भी जानकारी हो जाती है.इस माध्यम का इस्तेमाल करके सेल्स को अच्छी तरह बढ़ाया जा सकता है. इन सब फायदों के अलावा प्रोडक्ट प्रमोशन के इस तरीके में, सही टूल्स और टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करके कस्टमर्स के सभी ऐक्शन को भी ट्रेस किया जा सकता है.
डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) कोर्स
डिजिटल मार्केटिंग मे कई तरह के कोर्स मौजूद हैं. इन कोर्स की मदद से मार्केटिंग के अलग अलग क्षेत्र में काम करके पैसे कमाने में मदद मिलती है. नीचे हमने डिजिटल मार्केटिंग के ऐसे ही कुछ कोर्स के बारे में जानकारी दी है. इससे आपको अपने लिए डिजिटल मार्केटिंग के सही कोर्स का चयन करके पैसे कमाने में बहुत मदद मिलेगी.
- सीडीएमएम
- एसईओ
- एसएमएम
- ईमेल मार्केटिंग
- इनबाउण्ड मार्केटिंग
- ग्रोथ हैकिंग
- वेब एनालिटिक्स
- मोबाइल मार्केटिंगं
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