Low-Carb Lifestyle: इन दिनों कम कॉर्बोहाइड्रेट वाला डॉयट प्लान लोकप्रिय हो रहा है. खाने में कॉर्बोहाईड्रेट की मात्रा कम करके ओवरआल हेल्थ, वेट मैनेजमेंट, और इनर्जी लेवल में सुधार किया जा सकता है. यहां कम कार्बोहाइड्रेट से होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है.
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कॉर्बोहाइड्रेट और उसका प्रभाव
फैट, प्रोटीन, के साथ साथ कॉर्बोहाईड्रेट भी एक मुख्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स है. कार्बोहाइड्रेट्स इनर्जी के मुख्य स्त्रोत के रूप में काम करता है. लेकिन इसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा कई तरह के हेल्थ प्रॉब्लम का कारण बन सकता है. कार्बोहाइड्रेट दो तरह के होते हैं.
सिंपल कार्बोहाइड्रेट
कार्बोंहाइड्रेट जो अक्सर रिफाइन्ड शुगर, हनी, फ्रूट, और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है उसे सिंपल कॉर्बोहाइड्रेट कहते हैं.
कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट( स्टार्च)
कार्बोहाइड्रेट जो अक्सर ग्रेन्स, लेग्यूम्स, और स्टार्ची वेजिटेबल्स में पाया जाता है उसे कॉम्प्लेक्स कॉर्बोहाइड्रेट कहते हैं.
लो-कार्ब डायट के फायदे
वेटलॉस
लो-कॉर्ब डायट वेटलास में बहुत मदद कर सकता है. ये खासकर वाइसेरल फैट को कम करता है. खाने में कॉर्बोहाइड्रेट को कम करने से शरीर इनर्जी के लिए ग्लूकोज़ के बजाय स्टोर्ड फैट का उपयोग करने लगता है जिससे वेट धीरे धीरे कम होने लगता है.
ब्लड शुगर कंट्रोल
खाने में कॉर्बोहाइड्रेट की मात्रा कम करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के साथ साथ इंसुलिन सेन्टिविटी को भी इम्प्रूव किया जा सकता है. इससे खासकर डॉयबिटीज़ होने की संभावना को कम किया जा सकता है.
इनर्जी में इम्पूवमेंट
शुरूआत में लो-कार्बोहाइड्रेट डायट लेना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन शरीर के नयी डॉयट के लिए तैयार होने के बाद, इनर्जी लेवल में इम्प्रूवमेंट हो सकता है
इनफ्लेमेशन
लो-कॉर्ब डायट शरीर में इनफ्लेमेशन को कम करता है जो कई रोगों से खुद को बचाव करने में हमारी मदद कर सकता है.
ब्लड प्रेशर
स्टडीज में पाया गया है कि लो-कॉर्ब डायट ब्लड प्रेशर को कम करता है. इससे कॉर्डियोवास्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने में भी मदद मिल सकती है.
डाइजेशन
इरीटेबल बॉउल सिन्ड्रोम के लक्षण और अन्य डाइजेस्टिव डिसार्डर्स को कम करके लो-कार्बोहाइड्रेट्स गट बैक्टीरिया को प्रमोट करता है. इस तरह लो कार्बोहाइड्रेट डॉयट डाइजेशन को इम्प्रूव करता है.
लो-कॉर्ब डॉयट के लिए टिप्स
- अपने मोटीवेशन और गोल तय करें.
- लो-कॉर्ब डॉयट के लिए आवश्यक हेल्थ कंडीशन को सुनिश्चित करने के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सुझाव लें.
- खाने में वेजीटेबल्स, थोड़ा प्रोटीन, और हेल्दी फैट जरूर ध्यान दें.
- ऐप्स और जरनल्स की मदद से कॉर्बोहाइड्रेट की मात्रा को लगातार मॉनीटर करें.
- लो-कॉर्ब डायट की शुरु करने के बाद ब़ॉडी को एडजस्ट होने दें. शुरूआत में कम से कम 2-4 सप्ताह तक इंतजार करें.
- बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए समय समय पर पानी पीते रहें
लो-कॉर्ब फूड ऑप्शन्स
- वेजीटेबल्स (लीफी ग्रीन्स, ब्रॉकली, कॉलीफ्लोवर, बेल पीपर्स)
- प्रोटीन (लीन मीट, पोल्ट्री, फिश, एग्स, टोफू)
- हेल्दी फैट (अवोकाडो, ओलाइव, नट्स, सीड्स)
- फ्रूट्स ( बेरीस, साइट्रस फ्रूट्स, एप्पल्स, पीअर्स)
वेटलास से लेकर ब्लड शुगर कंट्रोल करने तक लो-कॉर्ब डॉयट के कई फायदे हैं. लो-कॉर्ब से होने वाले फायदों को समझकर फॉलो करके ओवरऑल हेल्द को बेहतर किया जा सकता है. लो-कॉर्ब डॉयट अपनाने से पहले हेल्थकेयर प्रोफेशनल से जरूर सलाह लें.
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(Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी देने के लिए उपलब्ध है. किसी भी तरह से ये प्रोफेशनल एडवाइस, डॉयग्नोसिस, और ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं है)
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